Monday, March 7, 2011

आखिर अध्यापक पात्रता परीक्षा का क्या मतलब है !

भारत सरकार आखिर क्या चाहती है इस देश के बेरोजगारों के साथ. पहले पीटीईटी
दो, फिर बी.एड. की परीक्षा, फिर प्रतियोगी परीक्षा देनी पड़ती है तब मिलती है
अध्यापक की नोकरी.
आखिर सरकार बेरोजगारों के खिलाफ हाथ धो कर ही नहीं बल्कि नहा धो कर
पड़ी है. मेरे समझ में नहीं आता की सारे कानून इस देश में गरीबों के लिए,
बेरोजगारों के लिए, कर्मचारियों के लिए ही क्यों बनते है. मेरे तो ये समझ में
नहीं आता कि, आखिर हम भारत में पैदा हो गए ये ही हमारी गलती है क्या ?
इस देश के नेताओं को ये बात समझ में क्यूँ नहीं आती है कि यदि यहाँ का
नोजवान मिश्र की तरह खड़ा हो गया तो फिर छुपने को जगह नहीं बचेगी.
प्रधानमंत्री को सायद समझ में ही नहीं आ रहा है कि, देश के युवा  के साथ
उनकी सरकार कितना अत्याचार कर रही है.
संभल जाओ मनजी वरना,
"रहिमन हाय गरीब की, कबहूँ न निर्फल जाय.
मरे बैल की चाम से लोह भस्म हो जाय"
संभल जाओ मेरे देश के हुक्मरानों वरना तुम्हे ये हाय ले बैठेगी.
मनोज चारण.

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