Barthji Babosa
बारठजी का इस समाज से खुला संवाद और खुली चुनौती भी .................................... ?
Tuesday, December 6, 2016
कल एक विशेष दिवस था और इस विशेष दिवस पर मुझे अपने हिन्दुत्व पर गर्व हुआ और मैंने खुद से पूछा कि मैं हिन्दू कैसे हूँ ?
जो जबाब मिला उसे एक कविता के रूप में आप सबके सामने पेश है।
शेष फिर कभी ........................।
मनोज चारण "कुमार"
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