Monday, March 14, 2011

जापान के साथ हमारी सहानुभूति है पर संभल जाओ !

जापान में भूकंप आया तो मेरे दोस्तों ने मुझे बताया की जापान तो बर्बाद हो गया है,   मैंने कारन पूछा  तो पता चला कि वहां पर भूकंप आया है. मैंने कहा कि इस भूकंप से जापान का कुछ नहीं बिगड़ेगा क्योंकि वो लोग भूकंप के लिए तैयार रहते है. और मेरी बात सही साबित हुई वहां पर भूकंप से नहीं बलिकी थोड़ी देर बाद आई सुनामी से ही तबाही हुई है.
हम जापान कि इस तबाही पर बेहद दुखी है, और मेरे देश ने इस तबाही में जापान कि मदद में कदम भी उठाया है. हमे गर्व है कि हमे ऐसी संस्कृति पर जहाँ पर दुसरो  का दुःख अधिक महसूस किया जाता है.
खैर असली बात कुछ और है, मैं इस मुद्दे पर आना चाहता हूँ कि जापान को अपने इतिहास पर ध्यान देना चाहिए कि उसने अमेरिका, चीन के साथ क्या किया था ? क्या दुसरे महायुद्ध में जापान का कदम सही था ? क्या उसके सैनिको का महिलाओ के साथ सलूक सही था ? क्या जापान ने अपने इतिहास में कभी भी कोई सही काम भी किया है ?
                 शायद नहीं !  जापान ने कभी भी ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे मानवता को उसपे गर्व हो.
जापान कि नई पीढ़ी को समझना चाहिए कि सिर्फ अपना देश और देशभक्ति ही नहीं होती बल्कि,  सम्पुर्ण विश्व कि मानवता भी कोई चीज होती है,  हमारा और हमारी संस्कृति का नारा तो हमेसा     से ही " जिओ और जीनो दो " कि भावना रही है, हमारा धेय वाक्य "वसुधैव कुटुम्बकम"  रहा है,
इसलिए जापान को भविष्य में ध्यान रखना चाहिए ओर इस आपदा में सम्पूर्ण विश्व इनके साथ है,
शेष कुसल.
मनोज चारण.

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