होली चली गई, और हंसी खुसी चली गई, न तो कोई दंगा हुआ न कोई फसाद. चलो अछा हुआ पर होली के पहले कुछ ऐसा हुआ जो लोगो को दर्द ही नहीं बल्कि कुछ सोचने की नई वजह भी दे गया, सवाईमाधोपुर में हुई घटना ने पुरे प्रशासन को हिला के रख दिया. थानेदार फूलमोह्म्द्द को जिन्दा जला देना एक शर्मनाक घटना है. क्या हो गया है इस देश को. क्या पुलिस में, फोज में किसी के बेटे नहीं होते ? क्या कोई किसी का पति नहीं होता या किसी का भाई नहीं होता ? पर इस देश के हुक्मरानों को तो अपनी गद्दी बचाने में ही फुर्सत नहीं मिल रही है. देश की संसद में नोटों की गड्डिया लहराई गई तब देश के मोजूदा प्रधानमंत्रीजी ने इसे एक शर्मनाक घटना बताया था. पर अब विकिलीक्स जो कह रहा है, वो क्या है, क्या प्रधानमंत्री इस पर अपनी सफाई से खुस है ?
क्यों नहीं होंगे आखिर इस देश की आजादी में उन्होंने क्या खोया है, जो दुखी होंगे ? बाबा रामदेव की सीधी चुनोती पर इन्होने रोक लगा दी है, सच है इस देश में तो "हर डाल पर उल्लू बैठा है"
पर क्या देश के लोगो को तुम रोक पाओगे जब वो खड़े होंगे वोट देने के लिए तो रोक पाओगे क्या उनको और वो दिखा देंगे तुम्हे की ये देश किसी के बाप की जागीर नहीं है. रोक सको तो रोक लेना.
खैर बात करते है कल की, कल २३ मार्च है, शहीद भगतसिंह की शहीदी का दिन, इस देश को भूलना नहीं चाहिए कि यदि इन जैसे लोग नहीं होते तो शायद हम लोग आज भी किसी कि ठोकरे खा रहे होते. इन शहीदों को मेरा कोटि कोटि प्रणाम.
शेष कुशल.
मनोज चारण.
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