भारत और पाकिस्तान में ३० मार्च को सेमीफ़ाइनल मैच होना है, भारत और पाकिस्तान के मिडिया में तो जैसे आग लग गई है, क्या हो जायेगा इस मैच से ? कोनसी क़यामत आ रही है, जो चारो तरफ हाय हाय मची है.
और सब तो माना कि, अपनी अपनी रोटियों को खीरे दे रहे है, पर मनमोहनसिंह को क्या हो गया है जो दिल को हिंद महासागर बना रहे है, क्या अटलजी की गलतियों से कोई सबक नहीं सीखा? फिर से वही दिल लाया हूँ सनम तेरे लिए, क्या जरुरत है, गिलानी को यहाँ पर बुलाने की? कही ऐसा ना हो जाये कि गिलानीजी मैच देख रहे हो और पीछे से कोई कस्साब फिर से किसी स्टेशन पर हमला कर दे. बच के रहना चाहिए इस देश को.
खैर बात कुछ दूसरी है, एक साधारण क्रिकेट मैच को मिडिया ने इतना हाइप कर दिया है, कि बस जाने फिर से कारगिल कि लड़ाई हो गई है, क्या हम फिर से ७१ का युद्ध करने जा रहे है? क्या सचिन सेना के जगजीतसिंह बन गए है? क्या युवराज लेफ्टिनेंट सगतसिंह बन गए है, या धोनी मानेकशा ? नहीं ये सब कुछ नहीं है बस लोगो कि भावनाओं के साथ खिलवाड़ है, हमे बचना चाहिए इन सबसे और खेल को खेल ही रहना चाहिए. हम तो यही चाहते है, कि बस क्रिकेट क्रिकेट ही बना रहे, तो मजा है. हम जीत कि दुआ करते है. पर मन इंडिया के साथ है.
शेष कुशल.
मनोज चारण.
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