आखिर राजा का बाजा बज ही गया और वो तिहाड़ के अपने महल
में रहने के लिए भेज दिया ही गया,
देश के कानून और सविधान पर आखिर कुछ तो विश्वास जमेगा देश
के लोगों का,
होना भी चाहिए कि देश से बढ़कर कोई राजा या करूणानिधि नहीं होता,
अब तो राडिया को भी पता चल गया होगा कि इस देश में जब तक
कुछ नहीं होता तब तक सब ठीक है और जब होने लगता है तो फिर
कुछ नहीं बचता है,
सच ही कहा है किसी ने कि,
ये जो पब्लिक है सब जानती है, भाई पब्लिक है.
मनोज चारण
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