Tuesday, April 19, 2011

अफ़सोस ! ये लाइन कब ख़त्म होगी ?

सादर जय श्रीअम्बे  !

           रामनवमी कि सुभकामनाये सभी को | पिछले दिनों में राजस्थान के सभी विद्यार्थियों को अनेक लाइनों  में लगना पड़ा है,  क्योंकि एक तरफ तो पटवारी कि भर्ती थी और दूसरी तरफ टेट कि परीक्षा के फार्म भी भरे जा रहे थे |  और तो और लाइनों का तो ये आलम था की जब कोई बंद लेने से अपना काम निकल लेता था तो फिर ऐसे महसूस करता है की जैसे उसने टाइगर हिल पर फ़तेह कर ली है |
           और लाइन को तो क्या कहे कि, क्या हालत है ? पहले दुकान पर फार्म लेने की लाइन, फिर पटवारी के पास लाइन, फिर नोटेरी के पास लाइन, फिर तहसील में लाइन, फिर पोस्टऑफिस  में लाइन, फिर बैंक में लाइन, फिर प्रेवश पत्र की लाइन, फिर परीक्षा की लाइन, फिर भी बाकि बचे तो बेरोजगारी की लाइन | आखिर इस देश में लाइन कभी ख़त्म होगी या नहीं, शायद देश में ये लाइन कभी ख़त्म नहीं होगी |
           हो क्या रहा है इस देश में ?  सोचने की बात है, की जब राजस्थान में पीटीइटी करवाई जा रही है, जब बीएड करवाई जा रही है, फिर इस नई पात्रता परीक्षा का क्या ओचित्य  है ? आखिर इस राज्य के विद्यार्थिओ ने कोई अपराध कर दिया है क्या ? जो अशोक गहलोत इनके हाथ धो कर पीछे पड़े है | जिस दिन इस राज्य का आजादी के बाद का इतिहास लिखा जायेगा. उस दिन अशोक गहलोत का  नाम सबसे मूर्ख और सबसे हठधर्मी शासक के रूप में लिखा जायेगा, न सिर्फ लिखा जायेगा, बल्कि इनके नाम सबसे बड़ी गालियाँ भी लिखी जाएगी | मुझे तो लगता है की जैसे हमे पिछले जन्म में कोई पाप किया था, जो अशोक गहलोत जैसे शासक से पाला पड़ा है,  भगवान बचाए इन जैसे पापियों से.

शेष कुशल.

मनोज चारण.

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