Saturday, April 9, 2011

मान गए कि, बूढी हड्डियों में जान बाकि है !

जय श्रीअम्बे  !
                    नवरात्री कि ढेर साडी सुभकामनाये !
                     मान गए अन्ना हजारे  का  जिगर , वास्तव  में लगा कि फिर से इस देश में बापू लौट आये है, कल जब टीवी पर देख रहा था और पत्रकार अपनी अटकलें  लगा रहे थे भिड़ा रहे थे, तब एक बार तो लगा कि अन्ना सायद कहीं पर झुक न जाये और माफ़ करना जी मई जरा भगतसिंह टाइप का आदमी हूँ जो ये सोचता ही कि यदि गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन  चोरीचोरा के कारण रोका नहीं होता तो शायद भारत में  आजादी २५ साल पहले आ जाती और शायद हमे भगत, सुखदेव, राजगुरु, चन्द्रसेखर, सुभाषचन्द्र  जैसे नेताओं से महरूम नहीं होना पड़ता. पर वह रे गाँधी के सचे भक्त, तुने कमाल कर दिया और सरकार पर ऐसा दबाव बनाया कि बस झुकना ही पड़ा.
                 मान गए कि बूढी हड्डियों में जान अभी बाकि है, और ना सिर्फ बाकि है बल्कि इस देश के नोजवानो  से कुछ जयादा ही है, हमे भी अब सोचना पड़ेगा कि जब ७८ साल का एक बुढा  इस   पूरी वयवस्था के खिलाफ  खड़ा हो सकता है, एक महिला किरण उसके साथ कड़ी हो सकती है, एक साधारण सा केजड़ीवाल खड़ा हो सकता है, एक स्वामी खड़ा हो सकता है, तो फिर हम क्यों नहीं इस करप्सन के खिलाफ खड़े होते है, हमे ये करना ही होगा वरना कल आने वाली पीढ़ी पूछेगी कि जब एक बुढा तुम्हारे लिए लड़ रहा था तब तुम कहाँ पर थे ?  आइपीएल  के मैदान में या, फिर कहीं और ?
              इसलिए मेरे साथियों खड़े हो जाओ इस वयवस्था के खिलाफ और झंडा बुलंद करो इन्कलाब का, और जोर से कहो "इन्कलाब जिंदाबाद"
शेष  कुसल |
मनोज चारण.
                माँ करणी (चूहों वाली देवी) कि फोटो देशनोक मंदिर, बीकानेर जिला, राजस्थान.

1 comment:

  1. बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
    यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके.,
    मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.

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