Sunday, March 22, 2015

माँ की स्तुति

राग रंग कछु नहीं जाणू, जाणू कोणी छन्द। 

बिना बन्द रा छन्द माँ, अरपण है जगदम्ब।। 

प्रथम ईश नै ध्यायके मैं ध्याऊँ गजानन्द। 

करणी माँ  हिरदै मै बसो,शारद बगसो छन्द।।


थारी मूरत बड़ी है सोवणी, माँ सूरत रूप अनूप।           

थारै हाजर सब खडया माँ, सुर-असुर-नर-भूप।।          

माँ थासूं सूरज च्यानणो, अर चंदा रूप उजास है।             

माँ थारै मढ़ री जोत है, अर काबा आसू-पास है।।          

माँ ओरण है मनभावणी, अर छटा घणी सरसावणी।।  

हो देशनोक री आप धिराणी, माँ कीरत गाउँ चारणी।। 

कर जोडया कथना करूँ, माँ कीरत गाउँ आपरी।         

चरण  शरण  दे  चारणी,  अर लाज राखजे खाँप री।।


चारण चरणा शरण पड़यो, माँ बेगी आय उबार।           

सिंघ  चढ़ी  झट  आवजे, माँ हेलो करै कुमार।।


मनोज चारण “कुमार”


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