क्या सोचता है युवा …
नमस्कार !
कल मैंने देखा कि जिस युवा की बात लोग करते रहते है वो क्या वास्तव में ही कुछ कर सकता है समाज के लिए या फिर लोग यूँ ही चिल्लाते है। मैंने उस युवा को कल देखने के बाद इस पर विचार किया कि सच में युवा हमें जैसा दीखता है वैसा है नहीं।
दिखने का तो क्या है सूरज भी ग्रहण के वक्त काला दिखता है, पर सच में होता नहीं है, यही बात युवा पर भी लागु होती है। युवा हमें अपाचे बाइक पर बैठा, सिगरेट का धुँवा उड़ाता, काला चश्मा लगाये, कानो में इयर फोन लगाये, नाइके की टोपी लगाये और दीन-दुनिया से बेखबर दिखता है।
पर कल मैंने देखा के अलमस्त सा लगने वाला ये युवा मन ही मन डरा हुआ है, न सिर्फ आज से बल्कि इस समाज से, कल सामने आने वाली बेरोजगारी कि समस्या से भी। इसीलिए वो झुक जाता है जब देखता है किसी मंदिर को, किसी मस्जिद को भी। अपाचे चलाने वाला युवा उतरता है, गोगल को पीठ पीछे सलमान कि तरह डालता है, चप्पल खोलता है और गोगाजी कि मेड़ी पर बड़ी शिद्दत से नमन करता है।
मुझे लगता है कि ये वो युवा है जिसके मन में सपनीला, चमकीला रजतवर्णी संसार तो है पर कहीं पर मन कि गहराइयों में भारतीय संस्कार भी दबे है, छुपे है। यदि इस युवा पर भारत गर्व करता है तो सही है।
पर हमें यह भी ध्यान देना चाहिए कि कहीं ये किसी डर से तो नहीं झुक रहा है, यदि ऐसा है तो फिर समाज को सोचना चाहिए, युवा के मन में सकारात्मकता होनी चाहिए डर नहीं। हमें इसे गहराई से समझना पड़ेगा।
जय श्रीअम्बे !
मनोज चारण
युवा केवल दिग्भ्रमित हो गया है!उसे राह दिखाने वाला मार्गदर्शक चाहिए!
ReplyDeleteयुवा केवल दिग्भ्रमित हो गया है!उसे राह दिखाने वाला मार्गदर्शक चाहिए!
ReplyDeleteवाह हूकूम।
ReplyDeleteबहूत अच्छा संदेश दिया हैं।
आजके जीवन में दिशा निर्देशक करने वाला चाहिए।
और आज हमारे देश में कई युवा हैं जो भ्रमित हैं।
तो किबी को सही मार्गदर्शन न मिलता हैं।
तो वे सफलता में पिछे रह जाते गलत दिशा पकड लेते।
सादर प्रणाम जय श्री करणी माँ